गज़ल
गज़ल
तेरा वो घर मेरा ही ससुराल बने,
अपना निकाह एक मिसाल बने !
दाग़ ना लगे कभी अपने दामन में,
ना रिश्तों पर कभी कोई सवाल बने !
तासीर-ए-इश्क़ ऐसी बस छाने लगे,
सबके दिलों में अपना ही ख़याल बने !
अतीत का सब आज में हम भुला देंगे,
भला क्यूँ बे-वजह आज पर बवाल बने !
इश्क़ वाली मोहब्बत करी है तुमसे हमने,
दुनिया में रिश्ता ये अपना बे-मिसाल बने !
काट लेंगे ये 'सफ़र' हम अपना साथ तेरे,
अपने मुकद्दर की चाहे कैसी भी चाल बने !