गीता ज्ञान
गीता ज्ञान
कल जो तेरा बीत गया
उस का पश्चाताप क्यों
कल जो है अभी आने वाला
चिंता और संताप क्यों
आज है जो चल रहा
उसको तू सुधार ले
कर्म तू कर ले कुछ ऐसा कि
कल को तू निखार ले
डर रहा है मौत से तू
अमर ये तेरी आत्मा है
ना तो ये है पैदा होती
न तो इसका खातमा है
शस्त्र से ये कट न पाए
पानी इसे डुबो न सकता
अग्नि इसे जला न पाए
हस्ती कोई मिटा न सकता
धरती पर थे जब तुम आए
खाली हाथ ही आये थे तुम
जो मिला यहीं मिला है
कुछ भी तो न लाये थे तुम
ईश्वर ने दिया तुम्हें है
जो भी तेरे पास है अब
चला गया अगर ये कल तो
मानो वापिस ले लिया सब
जो हुआ था बीते कल में
मानो वो बहुत सही है
आज भी जो होगा समझो
गलत उसमे कुछ नहीं है
आने वाले कल में भी जो
होगा समझो अच्छा होगा
सच्चा फल मिलेगा उसको
कर्म जिसका सच्चा होगा
आज एक रंक है वो जो
कल था कहीं पर राज करता
एक पल ख़ुशी है एक पल ग़म है
मौसम ये हर पल बदलता
दुःख और चिंता जो सताए
भगवान की शरण में आओ
तुम्हारी रक्षा वो करेंगे
बंधन से तुम मुक्ति पाओ
कर्म किया जो उसका फल तुम्हें
भोगना यहीं पड़ेगा
बोया है जो भी जीवन में
काटना वही पड़ेगा