देती अपनी कृपा का दान
देती अपनी कृपा का दान
है पर्वतों पर ढेरा जिसका,
शेर की सवारी है जिसकी पहचान,
है जो बहुत ही शक्तिशाली और,
है जगत में वो बेहद ही महान।
दुष्टों का है नाश जो करती,
पर भक्तों को देती है वरदान,
तीनों लोकों में है विराजमान जो,
मातारानी है जिसका नाम ।
जो जो करता याद मातारानी को,
दिल से अपने सुबह और शाम,
पूरे हो जाते फिर पल भर में ही,
उस के सारे बिगड़े मुश्किल काम।
धन दौलत और शोहरत मिलती,
मिलता जगत में बेहद ही मान,
दूर हो जातीं बाधाएं जीवन की,
जीना हो जाता बिलकुल ही आसान।
मन की हर बुराई है मिट जाती,
और दूर हो जाता है अभिमान,
है माता रानी बहुत ही दयामयी,
जो दूर करती मन से सारा अज्ञान।
जो भक्तजन आता है शरण में उसकी,
उसका लेती है वो कठिन इम्तिहान,
पर आखिर में खुश होकर भक्त पर,
देती अपनी कृपा का बेहद ही दान।
