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Indraj Aamath

Abstract Tragedy Classics

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Indraj Aamath

Abstract Tragedy Classics

ये घर किसका जल रहा है

ये घर किसका जल रहा है

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हिन्दू मस्जिद, मुस्लिम मन्दिर गया

चौपाइयों को एक ईसाई पढ़ रहा

आयतों को सिक्खों ने यूं रट दिया

फिर ये घर किसका जल रहा।


माना आर्थिक असामनाता थी

पर कोई भूखा कभी सोया नहीं

घर घर में दीवाली ईद भी मनी

फिर ये घर किसका जल रहा ।


माना जातियां आज भी जिंदा थी

पर प्रेम में कभी बाधक ना बनी

नफ़रत एक गुजरा हुआ कल था

फिर ये घर किसका जल रहा ।


राम रहीम ईसा नानक ने हमें

प्रेम सद्भाव का पाठ पढ़ाया था

हिंसा एक गुजरा कल बन गया

फिर ये घर किसका जल रहा ।


साथ रहना साथ ही चलना तुम

प्रेम सागर में गोता लगाना तुम

हर कठिनाई पर साथ रहे थे

फिर ये घर किसका जल रहा।


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