गीत : सखि, पतझड़ आने वाला है
गीत : सखि, पतझड़ आने वाला है
सावन की ऋतु बीत गई
प्रीत की गागर रीत गई
मन समंदर उमड़ने वाला है
सखि, पतझड़ आने वाला है
बिना साजन चैन नहीं पल भर
आंखें रोती हैं झर झर झर
होंठों पर चुप का ताला है
सखि, पतझड़ आने वाला है
जजबातों की सूनी सेज सजी
दिल में विरहा की बंसी बजी
जाने कैसे दिल को संभाला है
सखि, पतझड़ आने वाला है
आग लगाए बैरन पुरवाई
मिलन की आस निरास भई
चंदा भी अब ढलने वाला है
सखि, पतझड़ आने वाला है.