गीत : कॉफी की दुकान
गीत : कॉफी की दुकान
हुस्न का खजाना हो, इश्क का सामान हो
कैसे कहूं जाना ,तुम कॉफी की दुकान हो
कत्थई रंग की आंखें कॉफी की याद दिलाती हैं
जितनी बार भी पी है , तलब और भी बढ़ाती हैं
यौवन के छलकते प्याले में बड़ी बदगुमान हो
कैसे कहूं जाना, तुम कॉफी की दुकान हो । ।
अपने लबों से छू लो तो कॉफी मीठी हो जाये
बदन की गरमाहट ऐसी सांसों में आग लग जाये
ख्वाबों का तरन्नुम हो, उमंगें जवान हो
कैसे कहूं जाना , तुम कॉफी की दुकान हो।