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Anshu sharma

Tragedy

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Anshu sharma

Tragedy

घर सूना सूना

घर सूना सूना

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छोटी सी, नन्ही सी ,आई परी

खुशियां ही खुशियां ,नजर आई नई

दिन और रात ,बीती चुलबुली बातों से,

कभी कविता ,कहानी ,कभी गानों से,

कुछ दरिंदों ने ,कर दिया उसको दूर,

दुनिया से, विश्वास हो गया चूर।


आंखें भीगीं ,टूटा दिल का कोना कोना,

आज घर है सूना सूना

घर की उदासी नहीं देखी जाती ,

भीगी पलको में नींद नही आती,

माता पिता का टूटा खिलौना 

आज घर है सूना सूना।


दिन मे घेरे तन्हाई ,

चारो तरफ उदासी की परछाई,

मन्दिर मे बैठे बैठे ,

रोज शिकायतो का रोना,

भगवान क्यूँ नही सुनी थी ,

तुमने मेरी बच्ची का रोना,

आज दिल है सूना सूना।

जब नन्ही परी की यादे सताती है, 

जिंदगी जीने की इच्छा मर जाती है 

हम माता पिता के कलेजे का टुकडा खोना

आज घर है सूना सूना।


ऐसा होता आया है ,और होता रहेगा

तो कौन बेटी को जन्म देना चाहेगा?

दरिन्दो का खुले आम घुमना

क्या कानुन और समाज सजा दिला पायेगा?

अगर हाँ तो भी ,ना हो तो भी 

फर्क क्या पड पायेगा ?

लौट ना पायेगी बच्ची हमारी

जीते जी मर चुके माता पिता को 

अब कौन आवाज लगायेगा?












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