गौरया
गौरया
इन नन्हीं गौरया के चहकने से
गूंजा करता था घर आंगन
अब जाने क्यों दिखती नहीं
लगता है हमसे हैं नाराज़ बड़ी
पेड़ों को काट काट कर इन्हें बेघर डाला
प्रकृति ही इनका है एकमात्र सहारा
इनसे है घर की शोभा इनकी चहचहाहट है भली
फिर कुछ ऐसा करें हम सब मिलकर
गौरया चहके हर गली गली।
