गारंटी छोड़ो
गारंटी छोड़ो
दोस्तों! बचपन में सुना,
वाटा की गारंटी,
फिर फ्रीज और टेलिविजन की गारंटी।
जब पड़े ये बदलने,
तो इन्होंने शुरू कर दी,
वारंटी।
यनि पहले बताओ कारण,
फिर जो हिस्सा खराब,
अगर लगा सही,
तो बदलेंगे जनाब।
आज राजनीति में भी,
ऐसा दौर आ गया,
सब दल गारंटी,
देने लग पड़े।
परंतु मुश्किल होगी तब,
अगर गारंटी बदल गई,
वारंटी में।
तो फिर सब इंतजार,
करते रहेंगे,
परंतु वारंटी,
कहां पुरी होती,
बस वो तो,
दिखाने के लिए होती।
इसलिए छोड़ो,
गारंटी वारंटी का चक्र,
लोगों के काम,
जी जान से आओ,
सेवा भावना से कर दिखाओ।
अहंकार से बचो,
गरीब का अधिक,
ध्यान रखो।
उसकी जिंदगी,
आरामदायक बना दो,
बस रोटी कपड़ा और मकान,
सबको दिला दो।