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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Fantasy

3  

Nand Lal Mani Tripathi pitamber

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गांव कि गोरी

गांव कि गोरी

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गांव कि गोरी का सजाना, संवरना हसरत हस्ती कि मस्ती अल्हड़पन गाँव कि गलियों से गुजरना ।।

जवां जज्बात के ख्वाब खयालों में उतरना जमीं के जर्रे का नाज गांव में उगते सूरज ढलते शाम तराना।।

जमीं आसमां चंदन बिजली पानी जैसे चाहतों का गुजरना,

सुर्ख सूरज कि लाली बादलों के आगोश में जन्नत कि परी के पांव जमीं पे उतरना।।

बारिश कि बूंदों का लबों पर सीप के मोती जैसे चमकना

बहारों कि बरखा का दिल कि गली में उतरना ।।

सर्द चाँद चाँदनी में दिलों कि दस्तक जज्बे का पिघलना।। 

आसमान कि शान कड़कती गरजती शायराना अंदाज़ बोलती गीत ग़ज़ल का नाज़ नजराना।। 

तपती गर्मी में पसीने में नहाई वासंती वाला खुशबू दिलों गहराई के तूफ़ान का उठना

गांव कि शोधी माटी कि खूबसूरत अदा अंदाज़ का निखरना।।



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