गांधी गौरव
गांधी गौरव
तुझे जेब में रक्खा और
आचरण से निकाल दिया!
किताबों में दर्ज किया और
भाषणों में ढाल दिया!
मेरे गाँधी, तेरा जो गौरव है,
वो तेरी तरह सबल होकर भी
आज बड़ा निर्बल है!
जितनी भी सियासतें खेली गईं
तेरे नाम पर,
सबके सब सुखी हैं,
जिसने तेरी लाठी पकड़ी
बंद आँखें किये
अंधों की तरह चल रहे हैं,
तेरे पीछे शान्ति के पथ पर!
अकेले मौन होकर,
अँधेरे भरे भ्रम सन्नाटों में,
जिस दिशा में जा रहे हैं,
उन्हें चुपचाप जाने देते हैं
ये शोर करने वाले।
उन्हें पसंद नहीं तेरी राह,
वो हिंसक और खूँखार हैं,
जो रचना चाहते हैं नया विश्व
विकलांगों की स्थापनाओं से,
जो रंगना चाहते हैं पूरे विश्व को,
ख़ून के लाल रंग से,
जिनको युद्ध में ही शान्ति नज़र आती है,
वो तेरी तस्वीर पर माला चढ़ाकर कहते हैं
अहिंसा, शान्ति और मानवता
बहुत ज़रूरी है सबके लिये।
