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Dr Mohsin Khan

Inspirational

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Dr Mohsin Khan

Inspirational

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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इतना भी न डर के तू बेजान हो जाए।

आदमी ही न रहे और सामान हो जाए।


आती हैं मुसीबतें सामने तू हिम्मत रख,

कोशिश कर, ये राह आसान हो जाए।


मिल के रहें, हर ग़म को बाँट के जियें,

तो ज़िंदगी में बड़ा इत्मीनान हो जाए।


छूलेगा तू बुलंदियों को यक़ीन है मुझे,

बस ज़रा तेरी और परवान हो जाए।


लड़ता रहूँगा अँधेरों से तबतक 'तनहा',

जबतक न साफ़ आसमान हो जाए।



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