लिखना होगा
लिखना होगा


इस दौर में अगर प्यार की कविता लिखोगे
ये कविता के साथ बेमानी होगी
शायद उसकी हत्या भी होगी,
क्योंकि मौसम ये प्यार का नहीं
न ही किसी को रिझाने-रीझने का है।
लिखना होगा तुम्हें
तलवार की धार को काटने के लिए,
या ढाल की भाषा को बचाने के लिए,
गोलियों और गंदी ज़हनियत के ख़िलाफ़,
लिखना होगा तुम्हें
सौहार्द के लिए
अपनेपन को बचाए रखने के लिए।
ज़हर जो फ़ज़ाओं में घोला जा रहा है
ज़्यादातर को जैसा छला गया है
उसके ख़िलाफ़ लिखना होगा,
झूठ और नफ़रत के ख़िलाफ़ लिखना होगा,
लिखना होगा अब तुम्हें
वो सारा कड़वा सच
जिससे कतराते हैं
वो तानाशाह जो
लगवा रहे हैं नारे
ग़लत अर्थों से लैस।