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Neha anahita Srivastava

Fantasy Others

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Neha anahita Srivastava

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ग़ालिबन जादू जानती हैं बारिशें

ग़ालिबन जादू जानती हैं बारिशें

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ग़ालिबन ये बारिशें जादू जानती हैं,

अब्र के टुकड़े से छन सी ये गिरती हैं

बेरंग सी ये रंग ज़र्रे-ज़र्रे में भरती हैं,

सुरमई फलक से छलक कर ख़्वाब सतरंगी बुनती हैं,

ख़ामोश सी बूंदें दिल में बेइंतहा शोर करती हैं,


ग़ालिबन ये बारिशें जादू जानती हैं,

बेफिक्र कर मुस्तक़बिल से याद माज़ी की दिलाती हैं,

फलक से गिरती जाने किस रास्ते से आँखों तक पहुँच जाती हैं,

दरीचों के इस पार चुपचाप आँखों से छलक जाती हैं,

ये बारिशें जादू अपना आँखों पर चलाती हैं,


ग़ालिबन ये बारिशें जादू जानती हैं,

फलक के इश्क़ से सराबोर ज़मीं में गुम हो जाती हैं

फ़क़त चंद लम्हों की मेहमां दर्द गहरे से दे जाती हैं,

दिलों के तार पर धुन पुरानी छेड़ जाती हैं,

खूबसूरत सा एक तिलिस्म बुनती जाती हैं,


ग़ालिबन ये बारिशें जादू जानती हैं,"



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