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Isha Kathuria

Romance

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Isha Kathuria

Romance

गाढ़ा प्रेम

गाढ़ा प्रेम

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प्रेम उम्र के साथ बासी होता है

ऐसा सुना था कहीं

पर मां बाबा की प्रेम कहानी तो कुछ और ही कहती रही।


जिस्मानी ज़्यादा है लव आज कल

खो गए वो सनम की याद में चिट्ठी लिखने वाले पल

तेरी और मेरी अगर बनी तो बढ़िया

वरना मैं अपने रास्ते, तू अपने रास्ते पर चल।


पर मां बाबा कुछ और कहते हैं

मुश्किलें तो हैं जीवन का हिस्सा 

इन्हें साथ मिलकर सहते हैं।

मां के बीमार होने पर बाबा जो काढ़ा हैं बनाते 

माथे को जब चूमते, मां के आंसू छलक आते।


पच्चीस साल के बाद भी मां का आंखों से बात करना

शर्माना, इठलाना और करवा चौथ पर कुछ अलग ही संवरना।

चिंता क्यों करते हो, सब ठीक हो जाएगा

आप साथ हो तो कौन क्या बिगाड़ पाएगा?

मां का बाबा के अंदर ऐसा सच्चा विश्वास भरना

यह दोनों तो खुद में ही पूरे, इन्हें दुनिया से क्या फर्क पड़ना।


प्रेम ज़ाहिर करना कुछ ऐसा है सिखाते

बिन बोले एक दूजे का मन समझ जाते

इसलिए कहती हूं आज

"गाढ़ा" होता है प्रेम वक़्त के साथ 

हर रोज़ नए अंदाज़, हर रोज़ नए जज़्बात।


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