क्वारंटाइन वाली कविता
क्वारंटाइन वाली कविता
लिखने के लिए ही लिख लेती थी कविता
कुछ अधपकी कुछ अर्थहीन
तो कुछ केवल रस विहीन।
लिखने के लिए ही क्वारांटाइन में लिखी कविता,
पर इस बार कुछ पकी हुई सी कुछ अर्थपूर्ण
तो कुछ स्वयं-संपूर्ण।
अलग केवल इतना ही किया
कला को अभ्यास दिया
पर कविता क्यूं दे गई बदले में इतने उपहार?
स्वरूप, छटा, रस, बिम्ब,और ना जाने
कितने अलंकार।