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Isha Kathuria

Inspirational

4.0  

Isha Kathuria

Inspirational

मौन बनाम शब्द

मौन बनाम शब्द

2 mins
23.3K


मौन की भाषा वाणी की भाषा से,

होती है सदा बलवान...

पर कलयुग के रिश्ते ज़रा खोखले हैं,

मौन की गांठ लगने पर हो जाते है अन्तर्ध्यान।

माना कि खामोशी ढक लेती है,

इन नाज़ुक रिश्तों की आबरू

लेकिन शब्द आवश्यक हो जाते हैं..

जब जीवन की आपाधापी में चेहरे से हो रूबरू।


मौन से पढ़ लेंगे कि कोई मुखड़ा कितना रोया है,

शब्द बतलाएंगे कि क्यूँ वो पूरी रात नहीं सोया है।

मौन से पढ़ लेंगे कि कोई दिल से हमको चाहता है,

शब्द बतलाएंगे कि उसका हर दिन हमारे बिन कैसे

गुजर पाता है।

मौन से पढ़ लेंगे कि कोई बच्चा भूख से मर रहा है,

शब्द बतलाएंगे कि हर दिन देश का किसान

आत्महत्या कर रहा है।

मौन से पढ़ लेंगे कि कोई बहुत दिन से सहमा हुआ है,

शब्द बतलाएंगे कि उसको किसी ने गलत तरीके से छुआ है।

मौन से पढ़ लेंगे कि घर की स्त्री उदास सी रहती है,

शब्द बतलाएंगे कि वो धीरज से "क्या" और "किसको"

सहती है।

मौन से पढ़ लेंगे कि इस पिता की कोई लाचारी है,

शब्द बतलाएंगे कि उसकी संतान को असाध्य बीमारी है।

मौन से पढ़ लेंगे कि कोई प्रेमी स्मृतियों में लीन है,

शब्द बतलाएंगे कि उसका जीवन प्रेम से विहीन है।

मौन से पढ़ लेंगे कि अधरों पर झूठी है मुस्कान,

शब्द बतलाएंगे कि शायद अंदर से टूट गया है यह इंसान।


इसलिए मौन को पढ़ो....

पर बोलो और पूछो सवाल,

चाहे तुम्हारा वो सवाल...

बदलाव के लिए खड़ा कर दे बवाल।

जो तुम बोलने में भी सकुचाओ,

तो स्वयं को कला के जरिए दर्शाओ।


जितना भी बोलो, अच्छा बोलो

सोचो, जांचो, चाहे सौ बार शब्दों को तोलो।

क्यूंकि जुबां से जो निकल आता है,

या तो वह दिल में फूल सा खिल जाता है,

अन्यथा सर्वनाश ही कर पाता है।

और जो अनचाहा मौन घर कर जाएगा,

तुम्हारे होठों का दम घोंटता नज़र आएगा।


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