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Sudershan kumar sharma

Inspirational

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Sudershan kumar sharma

Inspirational

मंजिल

मंजिल

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किस्मत का रोना, जो रोते हैं,

चैन भी खोते हैं और मंजिल से भी हाथ धोते हैं। 


वोही काबिल होते हैं, जो हार

मान कर भी सागर में गम डुबोते हैं। 


सीख लो जीत दिवानों से,

तन्हाई में कई बार हंसते हैं

कईबार रोते हैं। 


नहीं जानते मेहनत कैसे होती

है, जो बिस्तर मखमल पर आराम से सोते हैं। 


सौंप रखी थी जिनको गुलशन की रखवाली,

अफसोस वोही गुलस्तां में करबटें ले ले सोते हैं। 


गैरों के सहारे भी कोई जीना है सुदर्शन, वोही जीतते हैं

जो अपना बोझ खुद ढोते हैं। 


उन अपनों से अच्छे हैं बैगाने

जो अल्फाज की जगह तलबार चुभोते हैं। 


मन में ठान ली हो जो मंजिल, वोही पाते हैं जो

किस्मत की जगह बीज

मेहनत का बोते हैं। 


उनका सबेरा कभी खत्म नहीं

होता सुदर्शन, जो रात को जाग जाग कर

प्रकाश का नारा देते हैं। 


करो मेहनत तो किस्मत दासी है

नहीं तो कर्महीन ही होते हैं

जो किस्मत को रोते हैं। 


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