शक्ति
शक्ति
तू मान है सम्मान है,
हर घर की लाज है तू,
तू दुर्गा काली स्वरूप है,
पापों का संहार है तू,
सुन स्त्री शक्ति है तू l
दर्द सहकर हंसती हो तुम,
पति परमेश्वर कहती हो तुम,
कलयुग सतयुग या हो त्रेतायुग,
लेती अलग अवतार हो तुम,
सुन स्त्री शक्ति है तू l
धर्म-कर्म आराध्य है तेरा,
दयाशील हृदय है तेरा,
सीता ,द्रौपदी या लक्ष्मीबाई,
रचती रही इतिहास हो तुम,
सुन स्त्री शक्ति है तू l
बेटी,मां, बहन तुम ही हो l
पवित्रता का चिन्ह तुम ही हो,
अपनों के बंधन में उलझ कर,
देती रही बलिदान हो तुम,
सुन स्त्री शक्ति है तू l