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Prashant Kumar Jha

Children Stories

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Prashant Kumar Jha

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मेरी प्यारी बहना

मेरी प्यारी बहना

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मेरी प्यारी बहना, 

तुझसे है कुछ कहना, 

बचपन के वो झगड़े याद कर रहा हूँ, 

तेरा भोलापन भरा चेहरा याद कर हँस रहा हूँ, 

तेरे जीवन में कभी दुख आए, 

ऐसा सोच कर भी डर रहा हूँ, 

ईश्वर से हर-पल तेरी खुशियाँ मांगता हूँ, 

याद है मुझे आज भी, 

कैसे हम बातों -बातों पे लड़ते थे, 

गलती हमेशा मेरा ही रहता था, 

फिर भी तू चुपचाप सब सहती थी, 

मेरे लिए बहन से ज्यादा एक दोस्त है तू, 

मेरा दर्द ना जाने कैसे समझ जाती है तू, 

मम्मी-पापा अगर दिल हैं मेरे, 

तो तू उस दिल की धड़कन है, 

बहना मेरी मेरा ये जीवन, 

तेरे लिए सदा अर्पण है, 

जितना भी लड़ा हूँ तुझसे, 

उन सबके लिए मैं शर्मिंदा हूँ, 

तेरी राखी, दुआओं से ही शायद, 

मैं आज भी जिंदा हूँ, 

तूने ही तो मुझे हमेशा संभाला है, 

हारकर भी लड़ना तूने ही तो सिखाया है, 

मेरा परछाई बनकर हमेशा तू, 

मेरे साथ खड़ा रही है, 

मेरे खुशियों के लिए, 

हमेशा तू सबसे लड़ी है, 

अपना आँसू मुझे उधार दे दे बहना, 

इसके लिए मना मत करना, 

तेरा अच्छाई अनंत है बहन, 

कलम से इसे लिख नहीं पाऊं, 

तू सिर्फ एक बहना नहीं, 

हमारे घर की गहना है।



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