"कान्हा"
"कान्हा"
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तेरे प्रेम में खोई हूँ,
आकर मुझे बचाओ न,
तुम मेरे दिल में हो कान्हा,
राधे कहकर बुलाओ न।
आश हो एक तुम ही मन का,
विश्वास हो मेरे रगों का,
इस कलयुग में भी कान्हा,
रासलीला रचाओ न।
आराध्य हो तुम मेरे कान्हा,
आस्था हो मेरे जीवन का,
श्रद्धा भाव में लीन हूँ तेरे,
मीरा कहकर जगाओ न।
यशोदा के दुलारे कान्हा,
मिश्री से भी मीठे हो तुम,
कलयुग में भी आकर कान्हा,
मीठी बांसुरी बजाओ न।
