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Prashant Kumar Jha

Others

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Prashant Kumar Jha

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LGBT की कहानी

LGBT की कहानी

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आओ सुने एक कहानी, 

LGBT की जिंदगानी, 

ईश्वर ने ही इन्हें बनाया, 

Sense Organs से सजाया, 

एक सवाल इनका भी है, 

आखिर अपनों ने क्यों ठुकराया? 


गलत नहीं है Gay होना, 

पाप नहीं है Lesbian होना, 

Bisexual होना कोई गुनाह नहीं, 

किस बात की माफी माँगू , 

जब Trans होना श्राप नहीं।


इसी धरा पर ये भी रहते, 

फिर पराया क्यों हम इन्हें कहते, 

आओ सुने इनकी जुबानी, 

अलग नहीं है इनकी कहानी।


इसी आंगन के तुलसी है ये, 

नील गगन के पंछी है ये, 

कैसा ये अपमान है, 

जब LGBT भी इंसान हैं।


माँ ने ही जन्म दिया है, 

आंचल में पालन किया है, 

लोगों के बातों के आगे, 

ममता हुई फिर क्यों पीछे? 


जन्म हुआ था जब इस घर में, 

किलकारी गूंजी थी आंगन में, 

झूठी मान शान के चलते, 

पिता इन्हें क्यों कलंक कहते? 


आओ समझे इनकी कहानी, 

दर्द भरी है इनकी जिंदगानी।


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