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aazam nayyar

Abstract Fantasy Children

3  

aazam nayyar

Abstract Fantasy Children

फ़रहीन

फ़रहीन

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कब जिंदगी मेरी देखो फ़रहीन है 

होता परेशां मेरा यूं ही ज़हीन है 


दिल डूबा इश्क़ में उसके ही रात दिन 

ए यार सूरत जिसकी वो हसीन है 


तू लौटकर आ घर तू अब परदेश से 

तन्हा उदास मेरा जीवन ये तेरे बिन है 


की दर्द है मिले अपनों से रात दिन 

जख्मी हुई मेरी दिल की जमीन है

 

कैसे बोलूं उसे मैं बात दिल में ही

वो कब मगर मेरे इतना करीन है 


हर बात में बोले है झूठ वो मगर 

उस पे रहा नहीं मुझको अब यकीन है 


ऐसा असर हुआ "आज़म" पे प्यार का 

उसके लिए जीवन मेरा हज़ीन है




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