फ़ासले
फ़ासले
फ़ासले कम न हुए दिल के ,
जो दिल में बसाये थे उन लम्हों में ,
दरारें पड़ गयी हैं मन में बेशक ,
पर अभी भी वही प्रेम है बाँहों में।
उस वक्त का क्या जिसको हम ,
हर वक्त साथ बिताया करते थे।
छोटी छोटी प्यारी बातों पर ,
अक्सर जी भर के हंसा करते थे।
हाथ पकड़ कर एक दूजे का ,
खुशियों में रोया करते थे।
क्या हुआ हमारे बीच जो,
बीच अटक कर रह गया।
खेल खेल में यूँ दिल ही ,
कच्ची माटी सा टूट गया।
किसी अमावस मुझसे मेरा ,
चंदा प्यारा रूठ गया।
जैसे तुम हमसे दूर हुए ,
सब दर्पण चकनाचूर हुए।
अब न जाने किसकी आखों के ,
नए सपन के नूर हुए।
एक अकेली छवि मेरी,
खुद से ही हमसे दूर हुई।
एक कहानी मन में ही,
मन से ही मन में दफ़न हुई।
कुछ अधूरे सपने ही ,
सपनो में बंध कर रह गए।
कुछ रिश्ते बातों में ही,
शब्दों में सिमट कर रह गए।
कुछ रिश्तों को लोग ऐंठ में ,
कच्चे धागों सा तोड़ चले।
कुछ आँखे अपनी नजरों को ,
नजरों से ही मोड़ चले।
तुम किसकी किसकी बातों का ,
फिर से उत्तर तक जाओगे।
लौट चलो अपने घर को ,
तृप्ति उसी में पाओगे।