STORYMIRROR

ATAL KASHYAP

Crime

4  

ATAL KASHYAP

Crime

एसिड-अटैक

एसिड-अटैक

1 min
290

क्यों मेरा आईना मुझे रूलाता है

चेहरे पर पड़े नकाब को देखकर अक्सर मुझे चिढ़ाता है

हर शख्स मुझे देखकर ठिठक जाता है

पास आने से भी वो कतराता है


फिर चेहरे के सूखे जख्मों को देखकर 

मन के जख्मों को हरा कर जाता है

मन भी रोज ही अतीत में गोते लगा जाता है


मेरी सुंदरता के कसीदे पढ़नेवाला 

वह शख्स रोज ही याद आता है

उसके प्रेम-प्रस्ताव को खारिज करके 

एसिड-अटैक का घटनाक्रम आँखों में घूम जाता है


मेरी जिदंगी के सुनहरे अध्याय 

तब से काले-स्याह हो गए, 

रोज तिल-तिल मरते कई साल हो गए, 

रोज एक ही कानफोड़ू आवाज मुझे सुनायी आती है


मेरा देश बदल रहा है

आगे बढ़ रहा है

सुनकर मुझे यह लगता है

क्या, नारी के प्रति लोगों का रवैया भी बदल रहा है ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Crime