❤️"एक शाम"❤️
❤️"एक शाम"❤️
एक शाम मेरे मीत तेरे नाम लिख दूं मैं
सोचा था जीवन में कई बार मैंने।।1।।
बातें सारी शाम होती,कहता तू अपनी,
कुछ अपनी मैं कहती,अपने- अपने जज्बातों का,
करते बयान यों,सोचा था जीवन में कई बार मैंने।।2।।
तेरे सामने मैं,मेरे सामने तू,
न तू कुछ बोलता,न मैं कुछ बोलती,
मौन ही कह जाता बात दो दिलों की,
सोचा था जीवन में कई बार मैंने।।3।।
तू मुझे ही देखता, मैं भी तुझे देखती,
कट जाता नाता सारी दुनिया से अपना
खोजते- पाते अपने ही में दोनों जहान हम।
सोचा था जीवन में कई बार मैंने।।4।।
पर मिलन मेरा तुम्हारा हो ही ना पाया।
दिल की चाहत ने मुकाम ना पाया।
ख्वाब और हकीकत में अन्तर बहुत था।
मैं गर जमीं थी तो तू आसमां था।।5।।