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Ayush Kaushik

Romance

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Ayush Kaushik

Romance

एक रोज़

एक रोज़

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किसी रोज़ अब देखे बिना तुमको दिन मेरा ढलना भूल गया है

और रात ने सवेरा का इंतज़ार करना बंद कर दिया है।


दिन बस तुम्हारी बातें करते करते थकता नही और

रातें तुम्हारी यादे बार बार दुहराती रहती हैं।


समय रुक स जाता है जब तुम्हारी आवाज़

मैं कहीं याद में से लेके सुनता हूँ।


और कभी कभी दौड़ सी लगा देता है

जब कभी तुमसे मिलने को मैं निकलता हूँ।


बस तेरी ओर ये नज़र देखती रहती है और जो तू दिख जाए तो

सारा दिन खुशी के आंसू से मेरे चहरे को सींचती रहती है।


देखे जो सपने वो सब भी अब तेरे से दोस्ती करके बैठे हैं

और बस तुझे ही बार बार मेरे सामने ला रखते हैं।


दूर रहना अब मुश्किल लगने लगा है

और लगता है जैसे धरती सिमटने लगी है।


दुनियादारी मेरी अब तुझ तक ही रह गयी है

और दुनिया से मुझे कोई यारी नही रखनी है।



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