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Surendra kumar singh

Romance

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Surendra kumar singh

Romance

लौट आता हूँ

लौट आता हूँ

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आकर्षण से भरी हुयी इस दुनिया में

तुम्हारा अपना जादू है

मेरे लिये एक शक्तिशाली चुम्बक सा।

मुस्कराते हुये फूलों का संसार

मंत्रमुग्ध कर देने वाले राग

और उनमें से निकलने वाली सुरीली आवाज

मदहोश कर देने वाले खूबसूरत चेहरे

और आमंत्रण देती आंखों की आवाज

दुनिया को और सुंदर बनाने की

अनगिन कोशिशें

और कोलाहल से भरी इस दुनिया मे

मौन के इक्के दुक्के टापू

नहीं बांध पाते मुझे अपने आलिंगन में

मैं बार बार लौट आता हूँ तुम्हारे पास।

मैं लौट आता हूँ तुम्हारे पास

और खो जाता हूँ तुममें

और लगने लगता है

लौट आया हूँ अपनी कामनाओं की

सम्पूर्ति में अतिब्यस्त लोगों की

सम्भाब्य मन्जिल से

पा लिया है वो सब

जिसे पाने की तम्मन्ना में

ध्यान लगाये बैठे हैं लोग

यज्ञ चल रहे हैं

युद्ध हो रहे हैं

विकास हो रहा है।

कितना अच्छा लगता था

कितना अच्छा लग रहा है

तुम्हारे पास,तुम्हारे साथ

जैसे कोई मुक्कमल दुनिया हो तुम।


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