एक रहगुजर हो
एक रहगुजर हो
किसी बात का ग़म इधर भी नहीं है,
मेरा अब कोई हमसफ़र भी नहीं है।
दुआएं झोली में समेटे बढ़े जा रहे हैं
कोई और अब रहगुज़र भी नहीं है।
किसी बात का ग़म इधर भी नहीं है,
मेरा अब कोई हमसफ़र भी नहीं है।
सहें क्या सितम हैं ज़माने में हमने,
मेरे यार को तो ख़बर भी नहीं है।
दुआएं झोली में समेटे बढ़े जा रहे हैं
कोई और अब रहगुज़र भी नहीं है।
किसी बात का ग़म इधर भी नहीं है,
मेरा अब कोई हमसफ़र भी नहीं है।
जो आए थे देने मिलन की नसीहत,
उन्हीं का यहां एक घर भी नहीं है।
किसी बात का ग़म इधर भी नहीं है,
मेरा अब कोई हमसफ़र भी नहीं है।
ख़ुदा जान ले साथी जो हर किसी को,
सिवा मेरे दिल के किधर भी नहीं है।
किसी बात का ग़म इधर भी नहीं है,
मेरा अब कोई हमसफ़र भी नहीं है।
