STORYMIRROR

gyayak jain

Drama

3  

gyayak jain

Drama

एक नदी ऐसी भी

एक नदी ऐसी भी

1 min
340

एक नदी चली कल-कल करती,

भूल गयी रुकना शायद,

भूल गयी थकना शायद,

नावों की हर मन्ज़िल बनती,

संग मुसाफ़िर राहें चलती।


कहीं वेद-पुराणों में,

कहीं गंगा-गोदावरी नामों में,

सतत् तुम्हारी दिनचर्या,

बात चल रही अनादि से।


कितने ही नाविक फिसले,

भटक गये थे राहों से,

तूने जग मार्गदर्श किया,

माता-जननी के रागों से।


-ज्ञायक


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Drama