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Sandip Kumar Singh

Fantasy

4  

Sandip Kumar Singh

Fantasy

एक मास में दो ग्रहण

एक मास में दो ग्रहण

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एक मास में दो ग्रहण, देखो अद्भुत खेल।

कैसा आया है समय, इधर उधर में मेल।।


एक मास में दो ग्रहण, लोगों में है त्रास।

फिर से खगोल में हुआ, शुभ फल का सम ह्रास।।


एक मास में दो ग्रहण, कैसा यह है रंग।

फिर भी खुश हम सब रहें, बाधा को कर भंग।।


एक मास में दो ग्रहण, नवल हुआ यह बात।

बढ़ा सोच का दायरा, कर दूं दिन को रात।।


एक मास में दो ग्रहण, निकले मुख से वाह।

बहु रंगी यह खेल है, दृढ़ हो अब हर चाह।।



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