एक लड़की थी पगली सीजो चांद सी
एक लड़की थी पगली सीजो चांद सी
एक लड़की थी पगली सी
जो चांद सी निकलती थी
आंखों में सुकून पैदा कर
तड़प दिल की हरती थी।।
तन बदन कि सारी दर्दे
एक पल में हर लेती थी
अंतरात्मा में खुशियां ही खुशियां
पल दो पल में भर देती थी
एक लड़की थी पगली......
जैसे सारा कुछ मिल गया हो
जग में सबसे न्यारा हो
अंधकार में जैसे जुगनू
देता थोड़ा सहारा हो
एक लड़की थी पगली......
दिल में बस्ती थी वह
वह संसार हमारा हो
वह लगती थी ऐसी जैसी
देती हमें किनारा हो
एक लड़की थी पगली......
ऐसा लगता था हमें
बिन उसकी ना कोई हमारा सहारा हो
उसके बिन किस्मत हमारा
अधुरा-अधुरा हो
एक लड़की थी पगली......

