एक कविता लिखी थी मैंने
एक कविता लिखी थी मैंने
एक कविता लिखी थी मैंने
जिसमें तुम थे और मैं थी
हमारा प्यार था, चाहत थी
हमारी दीवानगी की हद थी
कब मिले थे, कैसे मिले थे
हर बात का जिक्र था उसमें
एक कविता लिखी थी मैंने
जो तेरे ख्वाबों और ख्यालों
से लबरेज़ थी
जो अपनेपन की एक अनकही
दास्तां थी
जिसमें मुहब्बत की मिसाल
कायम थी
एक कविता लिखी थी मैंने
जिसका हर शब्द जैसे
तेरे होंठों की कशिश थी
जिसकी हर पंक्ति
मेरे माँग में सजे सिंदूर सी थी
जिसका अर्थ तेरे मेरे
दिल की धड़कन की ध्वनि थी
एक कविता लिखी थी मैंने

