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Kusum Joshi

Classics

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Kusum Joshi

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एक कथा: माँ सीता (सिय-त्याग)

एक कथा: माँ सीता (सिय-त्याग)

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चिंतित राम को देख सिया ने,

कारण पता लगवाया था,

जान के कारण राम के दुःख का,

राम को सन्देश भिजवाया था,


राम नाम इस धरती पर ,

सब रिश्तों से ऊपर होगा,

आप ना चिन्ता करें प्रभु,

सिय-त्याग उचित निर्णय होगा,


सिय की आँखों में एक तेज था,

वो राम को समझाती थी,

रिश्तों और कर्म के बीच,

राज के कर्म को प्रधान बताती थी,


सिय की बातों को सुनकर,

चकित राम थे देख रहे,

कैसी अद्भुत ये नारी है,

जो पति मान हेतु वनवास सहे,


आज्ञा राम से लेकर तब,

सिय ने वन प्रस्थान किया,

राम निशानी लिए गर्भ में,

रक्षित अपना मान किया,


क्यों निष्ठुर हुआ अवध सारा,

क्यों माताएं भी हार गयी,

क्यों कोई ना बोला सिया पक्ष में,

क्यों सीता वन चुपचाप गयी,


सिय के जीवन में संघर्षों का,

एक नया अध्याय लिखा गया,

जिसे बचाया था रावण से,

उसे अकेला क्यों छोड़ दिया,


राज धर्म और पति धर्म में,

राम ने राज धर्म स्वीकार किया,

लेकिन उस पावन नारी ने,

राम नाम के कारण महलों को भी त्याग दिया।


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