Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Mehrin Ahmad

Inspirational Others

4  

Mehrin Ahmad

Inspirational Others

एक खत खुद को 65 साल की उम्र में

एक खत खुद को 65 साल की उम्र में

1 min
179


अब तुम पैसठ साल की हो,

ज़िन्दगी की आखरी मोड़ पे हो,

कितनी खुशनसीब हो की अब तक हयात में हो।


हर ख्वाहिश को पूरी करो जो अधूरी रह गई हो,

तुमने सबका ख्याल रखा,

अब अपनी सेहत का ख्याल रखना,

अगर दवाओं के सहारे नहीं जीना।


अपने हमसफ़र को ऐसे देखो,

जैसे तुमने पहली बार आंखों में

चमक लिए उसे देखा था।

हर रोज़ अपनी चाहत का इजहार करना,

जैसे पहली मुलाकात पर किया था।


चेहरे पे झुर्रियों और सफ़ेद बालों के साथ,

आईने में इस तरह देखना जैसे तुमने

सोलह साल में चेहरे पे मुस्कान लिए देखा था।


अफसोस में वक़्त जाया ना करो,

जीयो, हंसो और खुश रहो,

यही कुल अहसास - ए - ज़िन्दगी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational