बचपन
बचपन
बचपन तो कुछ ऐसा गुज़रा,
एक कटोरी चावल को हम तरसे।
खेल कूद और पढाई की उम्र में,
कांधों पे ईट ढोया और कारखानों की
काली ज़हरीली धुआओं ने
बचपन का गला घोंटा।
अच्छी ज़िन्दगी की आस में,
बाल विवाह किया और
बचपन ने दम तोड़ दिया।
बचपन तो कुछ ऐसा गुज़रा,
जैसे कोई काला बादल साया,
ज़िन्दगी में तूफ़ान लाया,
चलो अच्छा ही हुआ जो गुज़र गया।