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Mehrin Ahmad

Abstract Action

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Mehrin Ahmad

Abstract Action

पहचान

पहचान

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क्या है मेरी पहचान,

वो चमकता हुआ पत्थर

जिसे ताज पे सजाया या

रास्ते का पत्थर जिसे ठोकर मारा।


क्या है मेरी पहचान,

वो आसमान में बेखौफ उड़ान वाली

पंछी या पिंजरे में कैद पंछी।


क्या है मेरी पहचान,

वो फूल की तरह खिलने वाली कली

या खिलने से पहले टूट कर गिर जाने वाली।


क्या है मेरी पहचान,

वो खुली किताब जिसके पन्नों से

इत्र की खुशबू, हवाओं में घुल जाती या

वो बंद किताब धूल से भड़ी।


क्या है मेरी पहचान,

वो आसमान में चमकता हुआ

तारा या टूट र गिर जाने वाला।


क्या है मेरी पहचान,

वो सैलाब जो पत्थर को भी चीर दे या

ठहरा पानी जिसमें अब काई लग बूह आने लगी।


क्या है मेरी पहचान,

वो मंजिल तक पहुंचने वाली कश्ती या

पहुंचने से पहले डूब जाने वाली।


क्या है मेरी पहचान,

कब तक धुंधली रहेगी,

औरत ने है ये सवाल उठाया। 


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