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AVINASH KUMAR

Romance

4  

AVINASH KUMAR

Romance

एक दर्द मुझे कुछ ऐसा दो

एक दर्द मुझे कुछ ऐसा दो

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एक दर्द मुझे कुछ ऐसा दो

इस दिल को आराम मिले

आगाज़ हूँ लेकर घूम रहा

अब तो कुछ अंजाम मिले


सब एक सी सूरत लगते हैं

मेरे ग़म को कोई किस्म मिले

मेरे इश्क़ को आकर छू दो तुम

कि इसको भी कोई जिस्म मिले


किस्सों की कब की मौत हुई

ज़िंदा है एक निशानी अब

ये कैसी प्यास है चारों ओर

प्यासा ही है खुद पानी अब


कैसे दुनिया ये कहती है

कुछ भी न कारोबार मेरा

है मेरा हक़ ही उस पर बस

जो एक तरफ़ा है प्यार मेरा


बहुत हुआ तेरा हँसना 

कोई और शरारत कर डालो

मुझको पाने की खातिर तुम

दो चार बगावत कर डालो


मंज़िल मंज़िल डगर डगर

मुझको है न ठौर कहीं

तुम बिन लेकिन जाऊं कहाँ

तुमसा भी कोई और नहीं


मेरी हकीकत भी तुम

मेरा अफसाना भी तुम

एक तेरे सिवा कोई भाता नहीं

तुमसा कोई और नहीं।



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