एक दीपक प्रेम का जला लो
एक दीपक प्रेम का जला लो
एक दीपक प्रेम का जला लो,
सब तरफ नफरत का बसेरा है।
घर तो रोशन हो गया, अब मन के कोने को चमका लो।
एक फुलझड़ी से चेहरे पर मुस्कान है, तो दो मीठे बोल से
सबको अपना बना लो।
एक दीपक प्रेम का जला लो----
पटाखे की ध्वनि ने सारी ध्वनियों को दरकिनार किया,
वैसे ही सबके कड़वे बोलो को मीठे वचनों में बदल डालो।
जलती रस्सी की जगमगाहट की तरह, अपने रिश्तों को जगमगा लो।
एक दीपक प्रेम का जला लो--
गोल -गोल घूमती चरखी, बनाती जाती अपनी जगह
उलझते जीवन में ऐसे ही अपनी पहचान बना लो।
जलते हजारों दीपों ने जैसे हर कोना रोशन किया ।
खुद को भी उन दीपों की भाँति सजा लो।
एक दीपक प्रेम का जला लो---
हर डगर, हर रास्ता प्रकाशित है ,आपके हर्षोल्लास से
प्रेममय वातावरण है चारों ओर से।
इस वातावरण में, अपने अंजुली में।
जीवन के कुछ अनमोल रत्न चुरो लो,
अपने जीवन को खुशहाल बना लो।
प्रेम का एक दीपक जला लो---
