Bhoop Singh Bharti
Drama
आपस म्ह हो एकता, खूब जमै फिर रंग
मरणा जीणा देखलो, इक दूजे के संग।
इक दूजे के संग, ढंग ये होवै न्यारा
लगै अनोखा देख, एक और एक ग्यारह।
कहै 'भारती' फेर, कोनी रहै अनेकता
जब एक और एक, हो ग्यारह सी एकता।
झूमता बसंत है
कुंडलिया : "म...
कुंडलिया
कुंडलिया : "प...
हाइकु : नव वर...
रैड क्रॉस
गीत
बंगाल की सभी गलियों तक जय श्रीराम कहने में बड़ा ही रिस्क है। बंगाल की सभी गलियों तक जय श्रीराम कहने में बड़ा ही रिस्क है।
चिड़िया तुम्हारे आँगन की, फिर दाने में लग जाएंगी। जब जब बुलाओगे पीहर, तो दौड़ी दौड़ी आए चिड़िया तुम्हारे आँगन की, फिर दाने में लग जाएंगी। जब जब बुलाओगे पीहर, तो...
जिसने सिर्फ सहना सीखा, आवाज़ उठाना भूल गया। जिसने सिर्फ सहना सीखा, आवाज़ उठाना भूल गया।
शायद आंसुओं में बह गया, जो प्यार जताना चाहते थे। शायद आंसुओं में बह गया, जो प्यार जताना चाहते थे।
लेकिन मैं अब जान चुकी हूँ तुम्हारे लिए मैं किसी तकिये से कम नहीं हूँ.. लेकिन मैं अब जान चुकी हूँ तुम्हारे लिए मैं किसी तकिये से कम नहीं हूँ..
और इस जन्म में तुम ही मेरी पसंदीदा किताब रहोगी। और इस जन्म में तुम ही मेरी पसंदीदा किताब रहोगी।
अपनी कैफियत छोड़ दी मैन, खासियत छोड़ दी मैंने। हर चाहत छोड़ दी मैंने, हर हसरत छोड़ दी मैंन अपनी कैफियत छोड़ दी मैन, खासियत छोड़ दी मैंने। हर चाहत छोड़ दी मैंने, हर हसरत छो...
कभी उसे देखती हूँ चलते हुए दरख्तों के बीच से..... शायद हरियाली की आस में.... कभी उसे देखती हूँ चलते हुए दरख्तों के बीच से..... शायद हरियाली की आस में....
उनके दिल में अगर चिराग़ जला पाऊँ तो भी बहुत है! उनके दिल में अगर चिराग़ जला पाऊँ तो भी बहुत है!
पर उम्मीद पूरी रखती हूं काश ये दुनिया मुझे समझ पाती। पर उम्मीद पूरी रखती हूं काश ये दुनिया मुझे समझ पाती।
जाने कैसी ये व्यवस्था है जो अंधकार से अंधकार की ओर धकेलती है जाने कैसी ये व्यवस्था है जो अंधकार से अंधकार की ओर धकेलती है
कि मुझे पहचाना नहीं, तो, हाँ मैं कंप्यूटर बोल रहा हूँ। कि मुझे पहचाना नहीं, तो, हाँ मैं कंप्यूटर बोल रहा हूँ।
तुम में दम है तुम कुछ भी कर सकती हो तुम में दम है तुम कुछ भी कर सकती हो
सुंदर राजकुमार आया है सात समुन्दर से बिटिया रानी को ब्याह ले जायेगा वो उस पार। सुंदर राजकुमार आया है सात समुन्दर से बिटिया रानी को ब्याह ले जायेगा वो उस पार...
बेनाम सा, एक रिश्ता जुड़ गया मेरा दिल खुद-ब-खुद उनकी तरफ मुड़ गया बेनाम सा, एक रिश्ता जुड़ गया मेरा दिल खुद-ब-खुद उनकी तरफ मुड़ गया
जिस जगह तुमने रखा था कदम बाग़ फूलों भरा अब वहाँ हो गया जिस जगह तुमने रखा था कदम बाग़ फूलों भरा अब वहाँ हो गया
प्रेम का इजहार है, हरसूँ हर बार है, हाथों में गुलाब है। प्रेम का इजहार है, हरसूँ हर बार है, हाथों में गुलाब है।
क्योंकि चार बेटों की माँ है चार बहू दस नाती हैं। क्योंकि चार बेटों की माँ है चार बहू दस नाती हैं।
बेशर्मी सी कोई कसक हया को छेड़ती होगी।। बेशर्मी सी कोई कसक हया को छेड़ती होगी।।
कहने को तो दो घर है पर बेटियों का कोई घर नहीं होता ! कोई घर नहीं होता ! कहने को तो दो घर है पर बेटियों का कोई घर नहीं होता ! कोई घर नहीं होता !