एहसास
एहसास
जिंदगी ने जब भी मुझे उदास किया, पल पल तुझे याद किया।
मंजिल चाहे मिल न सकी, बस प्यारा सा एहसास लिया।
चाहे रहा आवारा बन कर घुमता पर हर हालात में तुझे
याद किया।
सभी लेते थे भरी नींद विस्तर पर मेरे नसीब ने घास ही लिया।
कभी रखी थी आस चांद सितारों तक पर मुझे जिंदगी
ने निराश ही किया।
बनाते हैं किसी की याद में ताजमहल कुछ लोग, पर हम ने तो दिल में ही उसे निवास दिया।
चले गए ठुकरा कर जिंदगी को जो, आखिर हर महफिल
में हमें उन्होंने उदास ही किया।
रहता है दिये के पास हर पल
पतंगा सुदर्शन उसी की रोशनी ने जला कर उसे राख किया।
सभी जानते हैं प्रीत का सागर उसे पर नहीं पहचानता उसे जलता
हुआ दिया।
ता उम्र साथ निभाता है नाम
उसी प्रभु का, जिन्होने भरी सभा में साथ द्रौपदी का दिया।