यार मेरे
यार मेरे
किसीके याद में आसुओं की धार कब रुकता हैं
बिछुड़ गया साथी अगर इन्तजार कब रुकता है
अश्क गालों में आखों में सूनापन
दिल भरा भरा दर्द का ये दूना पन
धधकती आग दिल में इनका होना खार कब रुकता है
शिकायतों की समंदर में टकराते लहरें
उठते हैं, गिरते, भिड़ते हैं गर्जना न ठहरे
बोझ लगे जीवन उम्मीदों का होना तार तार कब रुकता है
होंगे कोई और जो राह बदल ले
अपनी तो आंसू गिरते नए ग़ज़ल ले
मिल लेता हूं ख्वाब की दुनियां में ख्वाबों से यार कौन उबता है।

