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Rajiv Jiya Kumar

Romance

4  

Rajiv Jiya Kumar

Romance

तुमसे है रिश्ता

तुमसे है रिश्ता

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तुम सामने हो संवरे संवरे

खामोश लब थे थमे ठहरे

आँखे सजीली सब बोल रहीं

अनकहे रिश्ते धीरे धीरे जोङ रही

सच यह जां,जां को बहलाता है,

रिश्ता तुमसे तो है कोई

बतला दो यह क्या कहलाता है।।

हम तुुुुुम्हे देख बहके बहके

खनके धङकन झन झन से

हर अदा निराली मतवाली

पल मेें करती मग्न उतावली

सच यह रूप स्वप्न जगाता है,

रिश्ता तुमसे तो है कोई

बतला दो यह क्या कहलाता है।।

मूरत तेरी बसी मन के मन में

सांस गाती सरगम बन ठन के

हर तान तान तेरी सरगोशी

हर बार तुम्हीं मद की मदहोशी

सच मदभरा चेेेेहरा तेेेरा खूब लुभाता है, 

रिश्ता तुमसे तो है कोई

बतला दो यह क्या कहलाता है।।

जिगर में उतरते रहे शैने शैैैने

कही अपनी,सुुुनी वह भी मैने

फिर भी मेरे जान जिगर

कह दिल की कर सनम मेरी फिकर 

सच जन्मों का कई यह नाता है,

रिश्ता तुमसे तो है क

बतला दो यह क्या कहलाता है।।

         


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