जब आओगे तुम
जब आओगे तुम
जब आओगे तुम तो बस
आज से कल तक का सफर तय करने मत आना
आना तो इस उगते आफताब और ढलते महताब के तरह आना
आना तो मेहंदी से बिछिये तक के सफर तय करने आना
और जान बता दूं तुम्हें
की सजने संवरने का शौक नहीं मुझे
लेकिन
हाथों में कंगन, माथे पे बिंदी और पैरो में पायल पहनती हूँ
और इस नए जमाने में भी, मैं खत लिखना पसंद करती हूँ
और सुनो ये कॉफी के बजाय मुझे अदरक वाली चाय ज़्यादा भाती है
और महीन सी सलवट की लाल कुर्ती में ये हसीना गजब रंग ढाती है
आना तो समझ जाना
की थोड़ी नादान सी हूँ
बातों में बेबाक सी हूँ
छोटी छोटी बातों पे तंग सी हूँ
और तुम्हारी उल्फत में पागल सी हूँ
और अगर मेरे पहलू की बात की जाए
तो जैसे
सावन में लगती गर्मी
पतझड़ में तूती पती
अंधियारे में उजाले की एक बत्ती
और इश्क़ करने पे उतर आऊँ तो मीरा सी बनती
लेकिन इस इश्क़ के गलियारे में उतरने से पहले
ज़रा मेरा एक कहा मान लेना
अपने आगोश में भरने से पहले
इस दिल की मरम्मत कर देना
और ये जो मोहब्बत के नाम पे
दगा देने की जो अफवाह है न उसे खामोश कर देना
पर सुनो ज़रा एहतियात बरतना
फलक तक के सपने दिखा के
ज़मीन तक का मत छोड़ जाना
और आना तो पूरी तरह आना
वरना दस्तक ही न देना

