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Sneha Mishra

Romance

4  

Sneha Mishra

Romance

अगर

अगर

2 mins
219


अगर मेरे उसे बेइंतहा चाहना सही है 

तो उसका किसी और को

बेशुमार प्यार करना गलत कैसे 

अगर मेरे उसे आगोश में भरना सही है 


तो उसको मुझे बाहों में भरकर किसी

और के साथ सपने सुजोना गलत कैसे 

इश्क़ करने का हक़ तो सबको है ना

तुमसे नही तो किसी और से तो है ना 

हा माना तुम्हारी छुवन से अभी उभरी नहीं हूँ,


तुम्हारे इश्क़ की यादों के पितारो से अभी गुज़री नही हो 

पर जानती हूं मुझसे न सही ,

किसी और से तो वफाई निभाओगे 

मेरे भले ही न हुए किसी और के तो होगे

तो क्यों रोक लू तुम्हें 

क्यों रोक लू तुम्हे 

तुम्हारी खुशियां ढूंढने से 

क्यों रोक लू तुम्हें 

तुम्हारे इश्क़ की गलियों ढूंढने से 

है जानती हूं उस गलियो की सड़क मेरे घर से नहीं जाती 


पर इसका यह मतलब नहीं कि में उन

सड़कों को अपने मंज़िल से रोक दूँ 

इश्क़ तो उगते अफताब ढलते महताब से भी करता है 

पर वो उसे किसी बेवफाई की खतघरे में तो नही रंगता है 

तो मेरी जान तू इश्क कर 

और जिस से चाहे उस से कर 

पर याद रखना 


तुझे इश्क़ करने वालो में एक हमारी भी गिनती है 

जो हर वक़्त तेरे ही नाम से सजती है

अगर मेरे उसे बेइंतेहा चाहना सही है 

तो उसका किसी और को बेशुमार प्यार करना गलत कैसे 

अगर मेरे उसे आगोश में भरना सही है 


तो उसको मुझे बाहों में भरकर

किसी और के साथ सपने सुजोना गलत कैसे 

इश्क़ करने का हक़ तो सबको है ना

तुमसे नही तो किसी और से तो है ना 

हाँ माना तुम्हारी छुवन से अभी उभरी नहीं हूँ,


तुम्हारे इश्क़ की यादों के पितारो से अभी गुज़री नही हो 

पर जानती हूं मुझसे न सही ,

किसी और से तो वफाई निभाओगे 

मेरे भले ही न हुए किसी और के तो होगे

तो क्यों रोक लू तुम्हें 

क्यों रोक लू तुम्हे 

तुम्हारी खुशियां ढूंढने से 

क्यों रोक लू तुम्हें 


तुम्हारे इश्क़ की गलियों ढूंढने से 

है जानती हूं उस गलियो की सड़क मेरे घर से नहीं जाती 

पर इसका यह मतलब नहीं कि में उन सड़कों को

अपने मंज़िल से रोक दूँ 

इश्क़ तो उगते अफताब ढलते महताब से भी करता है

 

पर वो उसे किसी बेवफाई की खतघरे में तो नही रंगता है 

तो मेरी जान तू इश्क कर 

और जिस से चाहे उस से कर 

पर याद रखना 

तुझे इश्क़ करने वालो में एक हमारी भी गिनती है 

जो हर वक़्त तेरे ही नाम से सजती है।


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