STORYMIRROR

Gaurav Khandelwal

Romance

3  

Gaurav Khandelwal

Romance

एहसास ए मोहब्बत

एहसास ए मोहब्बत

1 min
259

लिखने को मेरे पास है ही क्या 

तेरी मोहब्बत के अलावा 

तू शब्द बनकर उतर जा 

बस इतनी सी ही ख़्वाहिश है मेरी।


ज़न्नत की मुझे चिंता नहीं 

बस तू प्यार बनके उतर जा

इतनी ही आरजू मेरी।


लड़खड़ा जाती है जुबाँ

जाने क्या बक़ बक़

कर जाती है ये जुबाँ

तू मोहब्बत का तराना उतार जा 

इतनी सी तमन्ना है मेरी।


भीड़ में तेरे साए को पहचानना

ये हिम्मत नहीं मेरी

तू खुद अक्स अपना दिखला जा

तो समझूँगा क़िस्मत मेरी।


मैं लिखू तो तू शब्द बनकर उतर जा 

बस इतनी सी ही ख़्वाहिश है मेरी 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance