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Gaurav Khandelwal

Abstract

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Gaurav Khandelwal

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देश का एक नौजवान

देश का एक नौजवान

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न धड़कने मेरी न ये साँस मेरे है

हूँ उसी की मिट्टी का खिलौना

उसी पे हो अर्पण जिंदगी

बस ये थोड़े जज्बात मेरे है।

न बोल मेरे है न शब्द मेरे है

देश के काम आ जाऊं

बस यही सोच मेरी है ।

न भाषा मेरी है ,न अल्फ़ाज मेरे है

आज़ादी पे आ जाय उन शहीदों की यादें

तो उठते हुए ये जज्बात मेरे है।

है खुद की न कोई पहचान न शान मेरी है

देश और तिरंगा ही पहचान और शान मेरी है ।

न जन्नत की कोई मन्नत है,न ख़ुदा की कोई परवाह है

हैं बस आरजू इतनी , जाए जब जहाँ से ।

कफ़न अपना तिरंगा हो .. कफन अपना तिरंगा हो





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