देश का एक नौजवान
देश का एक नौजवान
न धड़कने मेरी न ये साँस मेरे है
हूँ उसी की मिट्टी का खिलौना
उसी पे हो अर्पण जिंदगी
बस ये थोड़े जज्बात मेरे है।
न बोल मेरे है न शब्द मेरे है
देश के काम आ जाऊं
बस यही सोच मेरी है ।
न भाषा मेरी है ,न अल्फ़ाज मेरे है
आज़ादी पे आ जाय उन शहीदों की यादें
तो उठते हुए ये जज्बात मेरे है।
है खुद की न कोई पहचान न शान मेरी है
देश और तिरंगा ही पहचान और शान मेरी है ।
न जन्नत की कोई मन्नत है,न ख़ुदा की कोई परवाह है
हैं बस आरजू इतनी , जाए जब जहाँ से ।
कफ़न अपना तिरंगा हो .. कफन अपना तिरंगा हो