दूरियाँ बढ़ाते गए
दूरियाँ बढ़ाते गए
यह इल्जाम वह हम पर बखूबी लगाते गए
हर यादों के सैलाब को दिल से मिटाते गए
मेरी किसी बातों पर कभी विश्वास ना किया
फासलें बढ़ गए और वो मुस्कुराकर चल दिए
हमने दर्दे -दिल छुपाकर उन्हें अपना समझा
वो हमारे बीच जाने क्यों दीवार बनाते गए
धुंधली ,मद्धिम रोशनी के एहसासों ने झांका
और तुम जाने क्यों हमेशा निगाहें चुराते गए
जाने कितने अवशेष पड़े थे मन चलचित्र में
उड़ गई आंखों की नींद वो सितम ढाते गए
बयां करने को तुमसे बहुत सी बातें थी मन में
पर तुम तो खामोश रहकर दूरियाँ बढ़ाते गए
अब ना रहा कोई- भी जज्बात हमारे बीच
फूलों की खोज में कांटो का दामन सजाते गए
यह इल्जाम वह हम पर बखूबी लगाते गए
हर यादों के सैलाब को दिल से मिटाते गए ।