दुनियादारी
दुनियादारी
सीख रहा हूँ, मैं दुनियादारी
कैसे करते लोग काम भारी
झूठ बोलना,जल्दी बोलना,
कैसे मर जाती कोई खुद्दारी
कैसे करते कोई रूह दुःखी
फिर करते है, खुद को सुखी
सीख रहा हूँ, मैं दुनियादारी
कैसे बनता कोई सुखकारी
किस प्रकार यहां पे डालते,
आंखों में मिर्च बहुत सारी
रूह भी बेआवाज हो गई,
मार रहा हूँ, रूह की लाचारी
खुद को भीतर मार दिया है
अपने आप को दगा दिया है
सीख रहा हूँ, मुर्दा कलाकारी
सीख रहा हूँ, मैं दुनियादारी
सोने से चरित्र को ताम्र बना,
खुद की कर रहा हूँ, रेजकारी
कैसे बनते है, कोई दुराचारी
सीख रहा हूँ,कैसे बनते है,
यहाँ अंधेरे की किलकारी
सीख रहा हूँ, मैं दुनियादारी
आंखों पे डाल रहा, पर्दा भारी
खुद को बना रहा हूँ, पत्थर
कैसे चलाते दिलों पे, नश्तर
अपने को बना रहा चमत्कारी
कैसे दे अच्छे भले को बीमारी
सीख रहा हूँ, मैं दुनियादारी
वो दुनियादारी किस काम की,
जो बद्दुआ ले किसी रूह की,
छोड़ भी दे ऐसी दुनियादारी
जिससे मिले किसी को बीमारी
तू सीख सिर्फ़ वो दुनियादारी
जो तेरी रूह को लगे हितकारी
लोग चाहे तुझे मूर्ख कहे,साखी
ख़ुदा करेंगे तुझे जलती चिंगारी
