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vinod mohabe

Comedy

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vinod mohabe

Comedy

दुल्हा

दुल्हा

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शादी में मैं अपने 

घोड़ी पर बैठा था 

देखकर खुदको 

खुद ही हँसता था ! 

       आंखों पर चश्मा 

       पहनाता सूट 

       पांव में मेरे 

       चाम का बूट !

सर पे मेरे बाशिंग था 

घोड़ी के भी सर पर था

लगता था जैसे 

घोड़ी के उपर घोड़ा बैठा था

देखकर खुदको 

खुद ही हँसता था

शादी में मैं अपने 

घोड़ी पर बैठा था ! 

       घोड़ी नच रही थी मस्त 

       पांव ऊपर कर- कर के

       मैं बोल रहा था घोड़ीवाले 

       अबे, मुझे तू पकड़ जमके !

आस-पास मेरे 

फटाकों कि धुन

इसको ढकल उसको ढकल 

बेवड़े दारू में टूल 

देखकर खुदको 

खुद ही हँसता था

शादी में मैं अपने 

घोड़ी पर बैठा था ! 

           डरते-डरते कैसे भी 

           मंडप के पास पहुँच गया 

           मुझे लग रहा था 

          क्यों मैं दुल्हा बना था !

घोड़ी भी क्या गजब कि थी 

पुरी कि पुरी गोरी थी 

लगता था जैसे 

सफेद कपड़ों पर कौआ बैठा था

देखकर खुदको 

खुद ही हँसता था

शादी में मैं अपने 

घोड़ी पर बैठा था !        


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